Dussehra 2022: क्या है दशहरे का महत्व और मान्यता? ऐसे करें प्रभु राम की आराधना और धन प्राप्ति के लिए करे ये काम ,पूरे साल खूब होगी कमाई...




भारत में दशहरा या विजयदशमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं। आश्विन या क्वार मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को इसका आयोजन होता है। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। दशहरा भारतीय संस्कृति के वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक है। इसलिए इसे 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है। 

दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। 

प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। 

दशहरे का महत्व :-


दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का पारावार नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। समस्त भारतवर्ष में यह पर्व विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस अवसर पर 'सिलंगण' के नाम से सामाजिक महोत्सव के रूप में भी इसको मनाया जाता है। सायंकाल के समय पर सभी ग्रामवासी सुंदर-सुंदर नव वस्त्रों से सुसज्जित होकर गाँव की सीमा पार कर शमी वृक्ष के पत्तों के रूप में 'स्वर्ण' लूटकर अपने ग्राम में वापस आते हैं। फिर उस स्वर्ण का परस्पर आदान-प्रदान किया जाता है।


राम और रावण का युद्ध :-



रावण भगवान राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन रावण का वध किया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। राम की विजय के प्रतीक स्वरूप इस पर्व को 'विजयादशमी' कहा जाता है।

दशहरा | Dussehra :-


पौराणिक कथाओं के अनुसार असुरों के राजा रम्भासुर का पुत्र था महिषासुर। कथाओं अनुसार रंभ, एक बार जल में रहने वाले एक भैंस से प्रेम कर बैठा और इन्हीं के योग से महिषासुर का आगमन हुआ। इसी वज़ह से महिषासुर इच्छानुसार जब चाहे भैंस और जब चाहे मनुष्य का रूप धारण कर सकता था। उसने अमर होने की इच्छा से ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की। ब्रह्माजी उसके तप से प्रसन्न हुए। वे हंस पर बैठकर महिषासुर के निकट आए और बोले- 'वत्स! उठो, इच्छानुसार वर मांगो।' महिषासुर ने उनसे अमर होने का वर मांगा।

ब्रह्माजी ने कहा- 'वत्स! एक मृत्यु को छोड़कर, जो कुछ भी चाहो, मैं तुम्हें प्रदान कर सकता हूं क्योंकि जन्मे हुए प्राणी का मरना तय होता है। महिषासुर ने बहुत सोचा और फिर कहा- 'ठीक है प्रभो। देवता, असुर और मानव किसी से मेरी मृत्यु न हो। किसी स्त्री के हाथ से मेरी मृत्यु निश्चित करने की कृपा करें।' ब्रह्माजी 'एवमस्तु' कहकर अपने लोक चले गए।  वर प्राप्त करके लौटने के बाद महिषासुर समस्त दैत्यों का राजा बन गया। उसने दैत्यों की विशाल सेना का गठन कर पाताल लोक और मृत्युलोक पर आक्रमण कर समस्त को अपने अधीन कर लिया। फिर उसने देवताओं के इन्द्रलोक पर आक्रमण किया। 

इस युद्ध में भगवान विष्णु और शिव ने भी देवताओं का साथ दिया लेकिन महिषासुर के हाथों सभी को पराजय का सामना करना पड़ा और देवलोक पर भी महिषासुर का अधिकार हो गया। वह त्रिलोकाधिपति बन गया। भगवान विष्णु ने कहा ने सभी देवताओं के साथ मिलकर सबकी आदि कारण भगवती महाशक्ति की आराधना की। सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य तेज निकलकर एक परम सुन्दरी स्त्री के रूप में प्रकट हुआ। हिमवान ने भगवती की सवारी के लिए सिंह दिया तथा सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र महामाया की सेवा में प्रस्तुत किए। 

इस दिन अगर कुछ विशेष प्रयोग किए जाएं तो अपार धन की प्राप्ति हो सकती है।


कब है दशहरा 2022 ?

दशहरा 2022 की तिथि और शुभ मुहूर्त


वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मंगलवार 4 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी बुधवार, 05, अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगी। इसलिए उदयातिथि को आधार मानकर दशहरा 05 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। वहीं इस दिन विजय, अमृत काल और दुर्हुमूर्त जैसे शुभ योग भी बन रहे हैं। जिनका ज्योतिष में विशेष महत्व बताया गया है। इन योगों में उपाय सिद्ध हो जाता है।जानकारी के लिए शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि और दिवाली से 20 दिन पहले दशहरा पड़ता है।


विजयदशमी (दशहरा)- 5 अक्टूबर 2022, बुधवार

दशहरा विजय मुहूर्त : 5 अक्टूबर दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से लेकर 2 बजकर 54 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त: 5 अक्टूबर दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक (नया व्यापार, नया निवेश शुरू करने का विशेष मुहुर्त) 

अमृत काल: 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 33 से लेकर दोपहर 1 बजकर 2 मिनट तक

दुर्मुहूर्त: 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर 12 बजकर 38 मिनट तक।

दशमी तिथि प्रारम्भ : 4 अक्टूबर 2022 को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से 

दशमी तिथि समाप्त : 5 अक्टूबर 2022 दोपहर 12 बजे तक

श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ : 4 अक्टूबर 2022 को रात 10 बजकर 51 मिनट से 

श्रवण नक्षत्र समाप्त :  5 अक्टूबर 2022 को रात 09 बजकर 15 मिनट तक

नोट : स्थानीय पंचांग के अनुसार तिथियों और मुहूर्त के समय में थोड़ी-बहुत घट-बढ़ होती है।

कहते हैं कि इस मुहूर्त में खरीददारी से सुख समृद्धि बढ़ती है। दरअसल लंकापति रावण का वध कर भगवान राम ने दशहरे के दिन ही बुराई पर विजय हासिल की थी, इसलिए विजयदशमी के दिन को अबूझ मुहूर्त माना गया है। इसके साथ ही इस दिन लोग बच्चों का अक्षर लेखन, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ भी करवाते हैं।

रावण-दहन का मुहूर्त -

दशहरा 05 अक्टूबर 2022 को है, रावण दहन का शुभ मुहूर्त 05 अक्टूबर 2022 को रात्रि 7 बजकर 40 से रात्रि 12:00 बजे तक है। यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक रावण दहन (दशहरा उत्सव) के लिए 4 घंटे 20 मिनट का समय है।(रावण-दहन से पूर्व मां अंबे भवानी और बजरंग बली की आराधना की जानी चाहिए। भगवान श्रीराम की अर्चना की जानी चाहिए। तत्पश्चात श्रीराम के जयघोष के साथ रावण-दहन का कार्य संपन्न करना चाहिए।)

मां दुर्गा मूर्ति विसर्जन


ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, मां दुर्गा की मूर्ति का विर्सजन 05 अक्टूबर 2022, बुधवार को होगा। 05 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 32 मिनट से सुबह  08 बजकर 55 मिनट के बीच मूर्ति विसर्जन करना शुभ माना जा रहा है।आपको मूर्ति के विर्सजन के लिए कुल 2 घंटे 23 मिनट का समय है।ऐसी मान्‍यता है कि दुर्गा विसर्जन के दिन मां शक्ति अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ अपने मायके से वापिस ससुराल कैलाश लौट जाती हैं। इस दिन जो लोग अपने घर पर दुर्गा जी की प्रतिमा स्‍थापित करते हैं वह धूमधाम से उन्‍हें ससुराल विदा करते हैं।

दशहरे पर करें किसकी पूजा और क्या मिलेगा लाभ?



  • इस दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए।
  • इससे सम्पूर्ण बाधाओं का नाश होगा और जीवन में विजय श्री प्राप्त होगी।
  • आज अस्त्र शस्त्र की पूजा करने से उस अस्त्र-शस्त्र से नुकसान नहीं होता।
  • आज के दिन मां की पूजा करके आप किसी भी नए कार्य की शुरुआत कर सकते हैं।
  • नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अदभुत होती है।

विजय प्राप्ति के लिए किस मंत्र का जाप करें?


"श्रियं रामं , जयं रामं, द्विर्जयम राममीरयेत।

त्रयोदशाक्षरो मन्त्रः, सर्वसिद्धिकरः स्थितः।।"



नवरात्रि समापन के साथ मनाएं दशहरा:-

  • दशहरे वाले दिन पहले देवी की फिर श्रीराम की पूजा करें।
  • देवी और श्री राम के मन्त्रों का जाप करें।
  • अगर कलश की स्थापना की है तो नारियल हटा लें और उसको प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
  • कलश का जल पूरे घर में छिड़क दें ताकि घर की नकारात्मकता समाप्त हो।
  • जिस स्थान पर पूरी नवरात्रि पूजा की है उस स्थान पर रात्रि भर दीपक जलाएं।
  • अगर आप शस्त्र पूजा करना चाहते हैं तो शस्त्र पर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधें।

धन प्राप्ति के लिए दशहरे के दिन क्या करें?


  • दशहरे के दिन शमी का पौधा लगाएं और नियमित रूप से उसमे जल डालते रहें।
  • पौधे के निकट हर शनिवार को संध्या काल में दीपक जलाएं।
  • आपको धन का अभाव कभी नहीं होगा।

दशहरे के दिन और क्या-क्या करना शुभ ?

बनी रहती है देवी-देवताओं की कृपा :- दशहरे पर मीठे दही के साथ शमी के काष्ठ का अपराजिता मंत्रों से पूजन करके महत्वपूर्ण काल में उस सिद्ध काष्ठ की मौजूदगी से सफलता और उन्नति होती है। घर के सदस्सों पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।

गुप्त दान से होगा फायदा :- दशहरे पर लंका दहन के बाद आप गुप्त दान भी कर सकते हैं। इस दिन आप एक नई झाड़ू को किसी मंदिर में ऐसी जगह रख दें, जहां आपको कोई देख ना सके। यह गुप्त दान आपकी धन संबंधी सभी परेशानियों को दूर करेगा।

समृद्धि का होता है वास :- दशहरे पर रावण दहन से पहले घर के ईशान कोने में कुमकुम, चंदन और लाल फूल से एक अष्टदल कमल की आकृति बनाएं। इसके बाद देवी जया व विजया को याद करते हुए उनकी पूजा करें। जया और विजया मां दुर्गा की सहायक योगिनी हैं। इनकी पूजा के बाद शमी के पेड़ की पूजा करके वृक्ष के पास की थोड़ी मिट्टी लेकर अपने घर में रख तिजाोर या पूजा स्थल पर रख दें। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में हमेशा सुख व समृद्धि बनी रहती है।

नौकरी में मिलती है सफलता :- नौकरी और बिजनस में सफलता पाने के लिए आप दशहरे के दिन पूजन करने के बाद 10 फल गरीबों में बांट दें और ओम विजयायौ नम: मंत्र का जप करें। इससे आपको मनोकामना पूरी हो जाएगी।

धन संबंधी समस्या होगी दूर:- धन प्राप्ति के लिए दशहरे के दिन से 43 दिनों तक किसी कुत्ते को हर रोज बेसन के लड्डू खिलाएं। ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं और हर प्रकार की धन संबंधी समस्या दूर हो जाएगी।

नकारात्मक शक्तियां रहती हैं दूर :- ज्योतिषों के अनुसार, रावण दहन के बाद बची हुई लकड़ियों को घर में लाकर किसी सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक शक्ति प्रवेश नहीं करती। साथ ही घर पर कोई भी तंत्र-मंत्र काम नहीं करता है।

होती है आरोग्य की प्राप्ति:- दशहरे के दिन शिखा पर जयंति बांधने से आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि जयंति को तिजोरी या अलमारी में रख देने से घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है।

समस्याएं होती हैं दूर :- दशहरे के दिन धार्मिक यात्रा का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि जो लोग विदेश में नौकरी और बिजनस करने के इच्छुक हैं, वह दशहरे के दिन यात्रा करें। इस दिन यात्रा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।


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