Dussehra 2022: दशहरा से जुड़ा एक ऐसा रहस्य जो कोई नहीं जानता | A secret Related to Dussehra that no one knows




नवरात्र का त्यौहार शक्ति के पूजन का त्यौहार है। नवरात्र में नौ दिन आदि शक्ति माँ भगवती की उपासना की जाती है। यह तो आपको भली-भांति पता होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं की भगवान राम और नवरात्र का क्या सम्बन्ध है?

आप यह तो जानते होंगे की दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। लेकिन क्या आपको यह पता है की दशहरा नवरात्र के नौ दिनों के बाद दशमी को ही क्यों मनाया जाता है? सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पूरा आर्टिकल पढ़ें।

जब रावण ने की श्री राम की स्तुति:


जब श्री राम रावण से युद्ध कर रहे थे, तब रावण को यह समझ आ गया था की उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए रावण ने युद्ध के दौरान ही श्री राम की स्तुति करनी शुरू कर दी। यह देख कर श्री राम को दया आ गयी और श्री राम अपने ही भक्त को कैसे मार सकते है?

देवताओं ने निकाला उपाय:


यह देख सभी देवताओं ने यह उपाय निकाला की माता सरस्वती रावण की जिव्हा (जीभ) में विराजमान होकर रावण से श्री राम के लिए कड़वे बोल बुलवाएँ और रावण जो श्री राम की स्तुति कर रहा था, न कर पाए।

रावण को मारना था असंभव:



जब माता सरस्वती ने रावण की जिव्हा पर वास करके उससे श्री राम के लिए कठोर शब्द बुलवाए, तब श्री राम ने क्रोधित होकर अपना धनुष उठाया और रावण को चीर दिया। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह सभी के लिए आश्चर्यचकित कर देने वाला था। ब्रम्ह देव के द्वारा दिए गए वरदान से रावण फिर उठ खड़ा हुआ।

रावण था माँ भगवती का भक्त:


रावण एक असुर तो था, लेकिन सबसे बड़ा शिव भक्त भी था और माँ भगवती का परम भक्त भी था। एक ऋषि के श्राप के कारण रावण असुर बना। उसने श्री राम से युद्ध के पहले माँ भगवती की पूजा करके उनसे यह वरदान माँगा था की, “ श्री राम से युद्ध के समय माता रावण के साथ उसके रथ पर विराजमान होकर रावण की रक्षा करेंगी ”। जब श्री राम ने यह देखा की माता भगवती जो की सम्पूर्ण ब्रम्हांड को जन्म देने वाली हैं, जो त्रिदेवों को जन्म देने वाली हैं, रावण के रथ पर विराजमान हैं। ऐसे में रावण पर एक भी प्रहार नहीं किया जा सकता। ऐसे में रावण को मरना असंभव था।

श्री राम ने किया माँ दुर्गा की पूजा:



श्री राम ने आदि शक्ति का पूजन प्रारंभ किया और माता का आवाहन करने लगे, लेकिन माता ने श्री राम को दर्शन नहीं दिए। तभी विभीषण और ऋषियों ने श्री राम को 108 नीले कमल के फूलों से माता का पूजन करने का आश्वासन दिया। यह सुन हनुमान जी देबिदाहा नामक जगह से 108 नीले कमल के फूल लेकर आये। श्री राम ने नवरात्र के छटवें दिन माता का पूजन आरम्भ किया।

दुर्गा माता ने श्री राम की परीक्षा ली:



पूजन करते-करते दो दिन बीत गए, उसके बाद आठवें दिन श्री राम ने पाया की नीले कमल के फूल सिर्फ 107 ही हैं। शायद माँ दुर्गा श्री राम की परीक्षा ले रहीं थी। यह देख श्री राम ने सोचा की पूजन को बीच में नहीं छोड़ सकते।

श्री राम ने अपना एक नेत्र किया माँ दुर्गा को भेंट:



आपको यह बता दें की श्री राम भगवान् विष्णु के अवतार हैं और विष्णु जी कमल नयन के नाम से भी जाने जाते हैं। श्री राम को भी कमलनयन कहा जाता है, क्यूंकि इनके नेत्र नीले कमल के सामान है।

इसलिए श्री राम ने अपना एक नेत्र माँ दुर्गा को भेंट करने का निर्णय लिया। जैसे ही श्री राम अपना बाण उठा कर, अपना एक नेत्र निकालने वाले थे, माँ दुर्गा ने प्रकट हो कर श्री राम को ऐसा करने से रोक दिया। माँ दुर्गा नवरात्र के अष्टमी के दिन श्री राम के सामने प्रकट हुईं।

माँ दुर्गा ने दिया श्री राम को वरदान:



श्री राम की भक्ति से प्रसन्न हो कर माँ दुर्गा ने, श्री राम को यह आश्वासन दिया की रावण की रक्षा नहीं करेंगी। साथ ही श्री राम के बाणों में अपनी शक्ति प्रवाहित करेंगी ताकि रावण का अंत किया जा सके। नवरात्र के नौवें दिन माँ दुर्गा ने श्री राम के धनुष और बाण में अपनी शक्ति छोड़ दी।

विजयदशमी के दिन हुआ रावण का अंत:


माँ दुर्गा की पूजा खत्म होते ही, श्री राम युद्ध के लिए निकल पड़े। माँ दुर्गा से वरदान लेने के बाद श्री राम को यह मालूम था की अब माँ भगवती रावण की रक्षा नहीं करेंगी। ऐसे में रावण को मारा जा सकता है और इसी तरह श्री राम ने नवरात्र के नौ दिनों के बाद दसवें दिन यानि की दशमी को रावण का अंत किया।अगर माँ दुर्गा का आशीर्वाद न मिला होता तो रावण को मरना असंभव होता और भगवान राम सीता माता को कैसे बचाते।


त्योहारों में समानताएं:



तो इस प्रकार यह एक रहस्य बना हुआ था जो हर मनुष्य के दिल और दिमाग में था। कई लोगों के यह सवाल रहें हैं की नवरात्र और रामायण का क्या सम्बन्ध है। यह पढ़ने के बाद आपको यह स्पष्ट हो गया होगा की हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, श्री राम ने नवरात्र के छटवें दिन माँ दुर्गा की पूजा प्रारंभ की और आठवें दिन माँ दुर्गा प्रकट हुईं और वरदान दिया और नौवें दिन श्री राम ने पूजा खत्म की। नवरात्र के नौ दिनों के बाद दसवें दिन युद्ध में रावण का अंत किया। इसीलिए दशहरा को विजयदशमी भी कहते हैं।

रावण का अंत कर श्री राम, माता सीता को लेकर जिस दिन अयोध्या लौटे उस दिन दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। जो की दशहरा के कुछ ही दिन बाद आता है।



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