होली 2022: किस रंग से खेलें होली, जानिए वास्तु के अनुसार कौनसा रंग जमेगा आप पर

 

जीवन से जुड़े हैं रंग


होली है भई होली है, मस्तानों की टोली है, कोई रंगों में सराबोर है, किसी की भीगी चोली है। अपनी खुशी, अपनी मस्ती और अपने उत्साह, उमंग को पिचकारी से छोड़ता हुआ सबको अपने रंग में रंगने को आतुर होली का त्यौहार सर पर आन खड़ा है। 19 मार्च 2022 को गली-महोल्लों से लेकर गांव-शहर तक विभिन्न चेहरे विभिन्न रंगों में एक दूसरे को रंग लगाते, भीगते-भिगोते नजर आयेंगें।वास्तु शास्त्र में बताए गए उपायों से आप अपने अनुसार होली खेलने के लिए किसी भी खास रंग का चयन कर सकते हैं। होली खेलते समय यदि अपने अनुसार रंगों का उपयोग किया जाए तो इससे सफलता, सुख-समृद्धि आती है एवं सही रंगों का चुनाव करके भी आप अपने परिवार को स्वस्थ, खुशहाल और नकारात्मकता से दूर रख सकते है।

शक्ति का प्रतीक लाल रंग:-


लाल रंग ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है,इसलिए शक्ति पूजा में अनार, गुड़हल के पुष्प, लाल वस्त्र इत्यादि लाल रंग की वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। ज्योतिषीय आधार पर लाल रंग को देखें तो इस रंग से भूमि, भवन, साहस, पराक्रम के स्वामी मंगल ग्रह भी प्रसन्न रहते है। आप लाल रंग का इस्तेमाल उस जगह पर कर सकते हैं जहां गर्माहट और ऊर्जा की ज़रूरत हो।लाल रंग से होली खेलने से माना जाता है कि स्वास्थ्य और यश में वृद्धि होती है। भूमि से जुड़े कार्य करने वालों को लाल रंग से होली खेलनी चाहिए।वास्तु के अनुसार जो लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं और जिन्हें गुस्सा आता हैं, उन्हें लाल रंग नहीं चुनना चाहिए क्योंकि ये उनके लिए तनावपूर्ण हो सकता है।


विष्णु का प्रिय पीला:-


पीला रंग अहिंसा, प्रेम, आनंद और ज्ञान का प्रतीक है। यह रंग व्यक्ति के स्नायु तंत्र को संतुलित व मस्तिष्क को सक्रिय रखता है।पीला रंग भगवान श्रीकृष्ण को पसंद है।श्री विष्णु और उनके अवतारों को पीताम्बर धारण करवाने का यह प्रमुख कारण है।यह रंग सौंदर्य और आध्यात्मिक तेज को तो निखरता ही है,साथ ही पीले वस्त्र धारण करने से देव गुरु वृहस्पति भी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। सोना-चांदी का व्यापार करने वालों को पीले रंग से होली खेलना शुभ माना जाता है।

आनंद का प्रतीक नारंगी:-

नारंगी रंग ज्ञान, ऊर्जा, शक्ति, प्रेम और आनंद का प्रतीक है। यह रंग लाल और पीले से मिलकर प्रकट होता है। जीवन में इसके प्रयोग से मंगल और बृहस्पति दोनों ग्रहों की कृपा तो बनी ही रहती है,साथ ही सूर्यदेव की भी असीम कृपा बरसती है। होली खेलने में वे लोग इस रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं जो जिंदगी से निराश हैं और जो डिप्रेशन का शिकार हैं।

पारदर्शी है नीला:-


नीला रंग श्री विष्णु, श्री राम, श्री कृष्ण, श्री महादेव के शरीर का है। नीला रंग विष को पीकर गले में रोक लेने की क्षमता रखने वाले भगवान शिव के गुण और भाव को प्रदर्शित करता है। रंग साफ-सुथरा निष्पापी,पारदर्शी,करुणामय,उच्च विचार होने का सूचक है। नीले रंग से होली खेलकर आप शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। वास्तु में यह रंग आसमान और पानी का प्रतिनिधित्व करता है एवं ये रंग जल्दी ठीक होने और दर्द को कम करने में मदद करता है।

समृद्धि का सूचक हरा :-


हरा रंग, समृद्धि, उत्कर्ष, प्रेम, दया, प्रगति, प्रकृति, सुकून, हीलिंग, प्रचुरता, तरक्की एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।हरे रंग के प्रयोग से बुध की कृपा बनी रहती है।इसके हीलिंग प्रॉपर्टी के कारण ही ज्यादातर अस्पतालों में इस रंग का इस्तेमाल किया जाता है। हरे रंग की और भी खासियत है, ये गुस्से को शांत करता है और मूड को हल्का बनाता है। जिन कपल्स के रिश्ते में मनमुटाव चल रहा हो वो इस रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। व्यापारी, शिक्षक, वकील, विद्यार्थी, लेखक को हरे रंग से होली का त्योहार मनाना चाहिए।


संतुलित करेगा बैंगनी :-


पर्पल या बैंगनी रंग विलासिता, रईसी, आत्मसम्मान और संतुलन का प्रतीक है एवं यह रंग पवित्रता और मासूमियत को दर्शाता है। ये रंग उन लोगों खासतौर से उन पुरुषों के द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है जो हीनभावना से ग्रसित हो।

प्यार का गुलाबी:-


गुलाबी रंग प्यार और रोमांस का प्रतीक है । जीवन में प्यार और रोमांस चाहने वालों को इस रंग से होली खेलनी चाहिए। इसके अलावा  गुलाबी रंग से होली खेलने वाले लोगों का मन काफी मजबूत होता है,ऐसे लोग मुश्किल हालत में भी हार नहीं मानते हैं।

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