Gupt Navratri 2022: कब से है माघ गुप्त नवरात्रि, जानें-पूजा की तिथि, मुहूर्त और विधि



हिंदी पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है। पहली नवरात्रि माघ महीने में, दूसरी नवरात्रि चैत्र महीने में, तीसरी नवरात्रि आषाढ़ महीने में मनाई जाती है। जबकि चौथी और अंतिम नवरात्रि अश्विन माह में मनाई जाती है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।

माघ और आषाढ़ में मनाई जाने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि एक बार माघ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी 2 फरवरी 2022, बुधवार से आरम्भ हो रहें हैं और इनका समापन 10 फरवरी 2022, शुक्रवार को होगा।

दूसरी बार आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी 30 जून 2022, गुरूवार से आरम्भ हो रहें हैं और इनका समापन 9 जुलाई 2022, शनिवार को होगा।इन नौ दिनों में देवी मां दुर्गा के दस गुप्त रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्रि का अनुष्ठान साधक विशेष प्रकार की सिद्धि पाने और मनोकामना पूर्ति हेतु करते हैं। आइए, गुप्त नवरात्रि के बारे में विस्तार से जानते हैं-

क्यों मनाते हैं गुप्त नवरात्रि?


निगम शास्त्र में संपूर्ण विश्व की रचना का आधार सूर्य को माना गया है। 'सूर्य रश्मितो जीवो भी जायते' अर्थात- सूर्य की किरणों से ही जीव की उत्पत्ति हुई अतः सूर्य ही जगत पिता है। इन्हीं की संक्रांतियों के अनुसार ही नवरात्रि पर्व माना गया है जैसे गुप्त नवरात्रि मकर संक्रांति तथा आषाढ़ संक्रांति के मध्य पड़ते हैं। यह सायन संक्रांति के नवरात्रि हैं जिनमें मकर संक्रांति उत्तरायण और कर्क (आषाढ़) संक्रांति दक्षिणायन की होती है। बाकी दो गुप्त नवरात्रि के अतिरिक्त सामान्य नवरात्रि चैत्रशुक्ल प्रतिपदा और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है। माघ शुक्ल प्रतिपदा में गुप्त नवरात्रि शिशिर और बसंत ऋतु के संक्रमण काल में आरंभ होता है। सूर्य की मकर संक्रांति के मध्य विष्णु भगवान का शयनकाल होता है उस समयावधि में देवताओं की शक्तियां कमजोर होने लगती हैं और पृथ्वी पर यम, वरुण आदि का प्रकोप बढ़ने लग जाता है। तब पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों की विपदाओं और विपत्तियों से रक्षा के लिये माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है।जिसके फलस्वरूप उनमें नई ऊर्जाशक्ति का संचार होता है और उन्हें भौतिक त्रिबिध तापों से मुक्ति मिलती है।तंत्र साधना के लिये गुप्त नवरात्रि अति महत्वपूर्ण मानी जाती है। सामान्य जन इसमें मंत्र जाप और पूजा पाठ करके अपनी शक्तियों को बढ़ाकर इन चार दुखों के देवताओं के प्रकोप से बचे रहते हैं।

कुछ साधक विशेष गुप्त सिद्धियाँ और शक्ति को पाने के लिए गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना करते है। वो देवी माँ को प्रसन्न करने के लिये समस्त प्रकार से प्रयास करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा सहस्त्रनाम और दुर्गा चालीसा का पाठ शुभ फलदायी होता है। गुप्त नवरात्रि का अनुष्ठान संतान प्राप्ति और शत्रु पर विजय दिलाने वाला है।

गुप्त नवरात्रि का महत्व

श्रीमदभागवत पुराण में ऐसा उल्लेख है कि वर्ष के दोनों गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में विशेषकर तांत्रिक क्रिया, शक्ति साधना और महाकाल की उपासना का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक साधक मां दुर्गा की कठिन भक्ति और तपस्या करते हैं। खासकर निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की जाती है। इस भक्ति और सेवा से मां प्रसन्न होकर साधकों को दुर्लभ और अतुल्य शक्ति देती हैं। साथ ही सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं।

नवरात्रि साल में कितनी बार आती है ?

नवरात्रि साल में चार बार आती है। एक वर्ष में मां भगवती की पूजा के लिए चार बार नवरात्रि आती है। जिनमें से दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि और दो नवरात्रि को प्रकट नवरात्रि कहा जाता हैं।

  • हिंदु पंचांग (कैलेंडर) के चैत्र माह और अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि को उदय नवरात्रि, प्रकट नवरात्रि और बड़ी नवरात्रि कहा जाता है।
  • हिंदु पंचांग (कैलेंडर) के आषाढ़ मास और माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि और छोटी नवरात्रि कहा जाता हैं।

गुप्त नवरात्रि और प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में क्या अंतर है?

प्रकट (सामान्य) नवरात्रि को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है पर गुप्त नवरात्रि को गुप्त रूप से मनाया जाता है। साधक अपनी साधना को गुप्त रखता है।

प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है, जबकि गुप्त नवरात्रि में अधिकांश रूप से सिद्धि प्राप्ति के लिये तांत्रिक पूजा की जाती है।

गुप्त नवरात्रि में साधक अपनी साधना को गुप्त रखता है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में साधक को अपनी पूजा और मनोकामना को गुप्त रखने से सफलता प्राप्त होती है।

माघ गुप्त नवरात्रि 2022 प्रतिपदा तिथि और घटस्थापना मुहूर्त | Magha Gupt Navratri 2022 Puja Muhurt

नवरात्रि शुरू : 02 फरवरी 2022 दिन बुधवार
नवरात्रि समाप्त : 10 फरवरी 2022 दिन गुरुवार
माघ गुप्त नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त : 2 फरवरी 2022 दिन बुधवार को
घट स्थापना शुभ मुहूर्त:  सुबह 7 बजकर 09 मिनट से सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक
अवधि : 01 घण्टा 22 मिनट्स

घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ : फरवरी 01, 2022 को  सुबह 11 बजकर 15 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त : फरवरी 02, 2022 को सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक
सन्धि पूजा : 09 फरवरी दिन  बुधवार (अष्टमी)
सन्धि पूजा प्रारम्भ : सुबह 08 बजकर 06 AM पर
सन्धि पूजा समाप्त: सुबह 0854 AM पर

स बार माघ गुप्त नवरात्र का आरंभ 2 फरवरी को बुधवार के दिन धनिष्ठा नक्षत्र, वरयान योग, बव करण तथा कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में हो रहा है। पंचांग की यह पांच स्थितियां देवी आराधना व गुप्त साधना के लिए विशेष मानी जाती है। नौ दिवसीय नवरात्र में द्वितीया तिथि का क्षय रहेगा। साथ ही पांच रवियोग दो सर्वार्थसिद्धि योग की साक्षी पर्वकाल को महत्वपूर्ण बना रही हैं।
  • 2 फरवरी को घटस्थापना है। इस मां शैलपुत्री  की पूजा की जाएगी।रवि योग दिनभर रहेगा।
  • 3 फरवरी को द्वितीया है। इस दिन मां ब्रह्मचारणी की पूजा की जाएगी।रवि योग शाम 5 बजे से रात्रि पर्यंत।
  • 4 फरवरी को तृतीया है। इस दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी।
  • 5 फरवरी को चतुर्थी है। इस दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाएगी।रवि योग शाम 4 बजे से रात्रि पर्यंत।
  • 6 फरवरी को पंचमी है। इस दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाएगी।सर्वार्थसिद्धि योग शाम 5 बजे से अगले दिन सुबह तक रहेगा।
  • 7 फरवरी को षष्ठी है। इस दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाएगी।रवि योग दिनभर रहेगा।
  • 8 फरवरी को सप्तमी है। इस दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाएगी।रवि योग मध्यरात्रि से अगले दिन सुबह तक रहेगा।
  • 9 फरवरी को अष्टमी है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप और दुर्गा अष्टमी की पूजा की जाएगी।सर्वार्थसिद्धि योग सुबह से लेकर रात्रि पर्यंत तक।
  • 10 फरवरी को नवमी है। इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाएगी और व्रत का पारण किया जायेगा ।

गुप्त नवरात्रि में किन देवियों की पूजा की जाती हैं ?


 
पुराणों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में भगवान शिव और माँ काली की पूजा करने का विधान है।मां दुर्गा के नौ रूप शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता हैं, जिनकी नवरात्रि में पूजा की जाती है।वैसे तो गुप्त नवरात्रि में भी उन्हीं नौ माताओं की पूजा और आराधना होती है लेकिन यदि कोई अघोर साधान करना चाहे तो दस महाविद्या में से किसी एक की साधना करता है जो गुप्त नावरात्रि में सफल होती है।जिन देवियों की पूजा की जाती है उनके नाम है -

• माँ काली
• भुवनेश्वरी माता
• त्रिपुर सुंदरी
• छिन्नमस्ता
• बगलामुखी देवी
• कमला देवी
• त्रिपुर भैरवी माता
• तारा देवी
• धूमावती माँ
• मातंगी

उक्त दस महाविद्याओं का संबंध अलग अलग देवियों से हैं।

10 महाविद्याओं के मंत्र :

काली- 'ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण का‍लिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।

तारा- 'ॐ ऐं ओं क्रीं क्रीं हूं फट्।'

षोडशी- 'श्री ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क्रीं कए इल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।'

भुवनेश्वरी- 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौ: भुवनेश्वर्ये नम: या ह्रीं।'

छिन्नमस्ता- 'श्री ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरायनीये हूं हूं फट् स्वाहा।'

त्रिपुर भैरवी- 'ह स: हसकरी हसे।'

धूमावती- 'धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।'

बगलामुखी- 'ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिव्हा कीलय, बुद्धिं विनाश्य ह्लीं ॐ स्वाहा।'

मातंगी- 'श्री ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।'

कमला- 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।'

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि


प्रकट नवरात्रि की ही भांति गुप्त नवरात्रि में भी व्रत-पूजन किया जाता है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक उपवास रखकर सुबह-शाम माँ भगवती की पूजा की जाती है।
  • प्रथम गुप्त नवरात्रि में दुर्गा पूजा का आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है। जिससे मां दुर्गा का पूजन बिना किसी विध्न के कुशलता पूर्वक संपन्न हो और मां अपनी कृपा बनाएं रखें।
  • कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा का श्री रूप या चित्रपट लाल रंग के पाटे पर सजाएं। फिर उनके बाएं ओर गौरी पुत्र श्री गणेश का श्री रूप या चित्रपट विराजित करें।
  • पूजा स्थान की उत्तर-पूर्व दिशा में धरती माता पर सात तरह के अनाज, पवित्र नदी की रेत और जौं डालें। कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, अक्षत, हल्दी, सिक्का, पुष्पादि डालें।
  • जौ अथवा कच्चे चावल कटोरी में भरकर कलश के ऊपर रखें उसके बीच नए लाल कपड़े से लिपटा हुआ पानी वाला नारियल अपने मस्तक से लगा कर प्रणाम करते हुए रेत पर कलश विराजित करें।
  • अखंड ज्योति प्रज्जवलित करें जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। विधि-विधान से पूजन किए जानें से अधिक मां दुर्गा भावों से पूजन किए जाने पर अधिक प्रसन्न होती हैं।
  • इसके साथ मां को सुबह-शाम अपनी क्षमता अनुसार भोग भी लगाएं। माना जाता है कि इन्हें अर्पित किया जाने वाला सबसे सरल और उत्तम भोग लौंग और बताशे का है।
  • माँ दुर्गा की उपासना करते समय माँ दुर्गा के मंत्र का जाप करें ; दुर्गा चालीसा, दुर्गा सहस्त्रनाम या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। ऐसा करना श्रेष्ठ फलदायी होता है।
  • अगर आप मंत्रों से अनजान हैं तो केवल पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से समस्त पूजन सामग्री अर्पित करें। मां शक्ति का यह मंत्र चमत्कारी शक्तियों से सपंन्न करने में समर्थ है।
  • अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजन सामग्री लाएं और प्रेम भाव से पूजन करें। संभव हो तो श्रृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। नौ दिन श्रद्धा भाव से ब्रह्म मुहूर्त में और संध्याकाल में सपरिवार आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना अवश्य करें।

गुप्त नवरात्रि की कथा




गुप्त नवरात्र के महत्व को बताने वाली एक कथा भी पौराणिक ग्रंथों में मिलती है कथा के अनुसार एक समय की बात है कि ऋषि श्रंगी एक बार अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे कि भीड़ में से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि से बोली कि गुरुवर मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं जिसके कारण मैं किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य व्रत उपवास अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती। मैं मां दुर्गा की शरण लेना चाहती हूं लेकिन मेरे पति के पापाचारों से मां की कृपा नहीं हो पा रही मेरा मार्गदर्शन करें। तब ऋषि बोले वासंतिक और शारदीय नवरात्र में तो हर कोई पूजा करता है सभी इससे परिचित हैं। लेकिन इनके अलावा वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं इनमें 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना भी की जाती है। यदि तुम विधिवत ऐसा कर सको तो मां दुर्गा की कृपा से तुम्हारा जीवन खुशियों से परिपूर्ण होगा। ऋषि के प्रवचनों को सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में ऋषि के बताये अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की स्त्री की श्रद्धा व भक्ति से मां प्रसन्न हुई और कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ उसका घर खुशियों से संपन्न हुआ।

कुल मिलाकर गुप्त नवरात्र में भी माता की आराधना करनी चाहिये।

गुप्त नवरात्रि में क्या करें ?

  • नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य नियम का जरूर पालन करें। 
  • तामसी भोजन का त्याग करें।
  • कुश की चटाई पर शैया करनी चाहिए।
  • निर्जला अथवा फलाहार उपवास रखें।
  • मां की पूजा-उपासना करें।
  • लहसुन-प्याज का उपयोग न करें।
  • माता-पिता की सेवा और आदर सत्कार करें।
  •  नए कार्यों का श्री गणेश करें -

गुप्त नवरात्र में इस बार रवियोग व सर्वार्थसिद्धि योग के रूप में अतिविशिष्ट मुहूर्त आ रहे हैं। इन मुहूर्तों में नए कार्यों का श्री गणेश कर सकते हैं।

नवीन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, औद्योगिक इकाई की स्थापना, भूमि, भवन,वाहन, जेवरात की खरीदी के लिए भी यह दिन विशेष हैं। इन योगों में शुरू किए गए कार्य अथवा खरीदी गई संपत्ति उन्नति के साथ आर्थिक प्रगति प्रदान करती है।


आशा करते हैं कि यह नवरात्रि से संबंधित यह लेख आपको पसंद आया होगा। बिहारलोकगीत.कॉम की ओर से हम कामना करते हैं कि माँ दुर्गा का आशीर्वाद आपके ऊपर सदा बना रहे। हमारी तरफ से आपको गुप्त नवरात्रि की शुभकामनाएँ।

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