Vaishakh Purnima 2020: कैसे रखें वैशाख पूर्णिमा का व्रत, क्या है विधि और मुहूर्त देखें यहां




वैशाख मास को बहुत ही पवित्र माह माना जाता है इस माह में आने वाले त्यौहार भी इस मायने में खास हैं। वैशाख मास की एकादशियां हों या अमावस्या सभी तिथियां पावन हैं लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना महत्व माना जाता है। इन दिनों ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर होती है और गर्म हवाएं बहने से लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ जाती हैं। इस मास में जल का महत्व काफी बढ़ जाता है और जल की कमी के कारण जल के दान और जल के किफायत से उपयोग करने पर इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। भविष्य पुराण, आदित्य पुराण में वैशाखी पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र और फलदायी तिथि माना गया है। इस दिन पिछले एक महीने से चले आ रहे वैशाख स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्ण आहूति की जाती है। वैशाखी पूर्णिमा के दिन मंदिरों में हवन और पूजन का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही वैशाख मास के महात्म्य का परायण किया जाता है।भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा और अर्चना करते हैं।


वैशाख पूर्णिमा का क्या महत्व है? What is the significance of Vaishakh Purnima?:-



हिंदू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंदू कैलेंडर के अनुसार दूसरे महीने को वैशाख माह के रूप में जाना जाता है। स्कंद पुराण सबसे धार्मिक हिंदू शास्त्रों में से एक है जो इस दिन के महत्व को उजागर करता है। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को बहुतायत्ता, पुरस्कार और शांति मिलती है। वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने से भक्त समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के बचपन के साथी सुदामा जब द्वारिका उनके पास मिलने पहुंचे थे, तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत का विधान बताया। इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता दूर हुई।पूर्णिमा के दिन चांद अपने पूर्ण आकार में दिखाई देता है। लेकिन इस बार पूर्णिमा पर चांद का आकार अधिक बड़ा और चमकीला दिखाई देगा। क्योंकि 07 मई को साल का आखिरी सुपरमून दिखाई देने वाला है। 

नदी सरोवर में स्नान का है विशेष महत्व:-



वैशाखी पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। वैशाखी पूर्णिमा को गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है।वैशाख पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा करने का विधान है, इसलिए इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। मान्यता है कि इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा हुआ कलश, पकवान और मिष्ठान का दान करने से गोदान के समान फल मिलता है। वैशाखी पूर्णिमा को शक्कर और तिल का दान करने से अनजाने में हुए पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। पितृों के लिए पवित्र नदियों में स्नान कर हाथ में तिल रखकर तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

वैशाख पूर्णिमा 2020 तिथि व मुहूर्त | Vaishakh Purnima 2020 Tithi and Muhurat:-


वैशाख पूर्णिमा तिथि :- 07 मई 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ :- मई 06, 2020 को सांय  07:44 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त :- मई 07, 2020 को  सांय 04:14 बजे तक

वैशाख पूर्णिमा पर रखें सत्य विनायक व्रत | Vaisakh Purnima Satya Vinayak Vrat:-


वैशाख पूर्णिमा पर सत्य विनायक व्रत रखने का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन सत्य विनायक व्रत रखने से व्रती की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है। मान्यता है कि अपने पास मदद के लिये आये भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा (ब्राह्मण सुदामा) को भी इसी व्रत का विधान बताया था जिसके पश्चात उनकी गरीबी दूर हुई। वैशाख पूर्णिमा को धर्मराज की पूजा करने का विधान है मान्यता है कि धर्मराज सत्यविनायक व्रत से प्रसन्न होते हैं। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्रती को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता ऐसी मान्यता है।


वैशाख पूर्णिमा व्रत , पूजा विधि और धार्मिक कर्म | Vaishakh Purnima Vrat, Pooja Vidhi and Religious Karma:-


वैशाख पूर्णिमा पर व्रत और पुण्य कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि अन्य पूर्णिमा व्रत के सामान ही है लेकिन इस दिन किये जाने वाले कुछ धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं-

  • वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। हालांकि इस बार देश में फैली कोरोना महामारी के कारण लोगों का सार्वजनिक स्थानों पर एकत्र होना निषेध है, ऐसे में आप घर पर ही स्नान करें और दान करें।

  • स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

  • 'वैशाख पूर्णिमा' या 'सत्यनारायण' के व्रत का पालन करना इस विशेष दिन के लिए शुभ माना जाता है।

  • भक्तों को देवता को प्रसन्न करने के लिए 'सत्यनारायण कथा' का भी जप करना चाहिए।

  • पवित्र भोजन तैयार किया जाता है और भगवान विष्णु की मूर्ति को चढ़ाया जाता है।

  • भक्तों को सत्यनारायण पूजा करना चाहिए  और इसके साथ ही, उन्हें चंदन का लेप, सुपारी, फल, फूल, केले के पत्ते आदि को आवश्यक रूप से चढ़ाना चाहिए।

  • शाम को, 'भक्त अर्घ्य' की रस्म निभाकर रात्रि के समय दीप, धूप, पुष्प, अन्न, गुड़ आदि से पूर्ण चंद्रमा की पूजा करनी चाहिये और जल अर्पित करना चाहिये। 

  • चंद्र देव को खीर जरूर भेंट करें- ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्र देव को खीर अर्पित करने से मानसिक रोगों से संबंधित सभी तरह की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। ऐसे में वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्र देव को खीर जरूर भेंट करें। इसके बाद इसे परिवार में बांटें।

  • इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है।

  • 5 या 7 जरुरतमंद व्यक्तियों और ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल देने से पापों का क्षय होता है।

  • स्वर्णदान का भी इस दिन काफी महत्व माना जाता है।सामर्थ्य हो तो स्वर्णदान भी इस दिन करना चाहिये।

  • इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाएँ और तिलों का तर्पण विशेष रूप से करें।

  • इस दिन व्रत के दौरान एक समय भोजन करें।



वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या ना करें | What not to do on Vaishakh Purnima :-


  • वैशाख पूर्णिमा के दिन मांस ना खाएं।

  • घर में किसी भी तरह का कलह ना करें।

  • किसी को भी अपशब्द ना कहें।

  • झूठ बोलने से बचें।


वैशाख पूर्णिमा के दिन सुपरमून :-



इसे सुपर फ्लावर मून भी कहा जाता है। इस दिन साल का आखिरी सुपरमून दिखाई देगा। इस दिन चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी 3,61,184 किमी की ही रह जायेगी। इस दिन चांद पृथ्वी के बेहद करीब होता है। जिस कारण वह ज्यादा चमकीला और ज्यादा बड़ा दिखाई देता है। 7 मई के बाद आप सुपर पिंक मून को 27 अप्रैल 2021 में देख पायेंगे। नासा के अनुसार, सुपर फ्लावर मून भारतीय समयानुसार गुरुवार 7 मई की शाम 4.15 बजे अपने पूर्ण प्रभाव में दिखाई देगा।

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