गुणों से भरी है रसीली लीची, फायदे जानकर हैरत में पड़ जाएंगे आप | Lychee fruit Benefits in Hindi




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गुणों से भरी है रसीली लीची, फायदे जानकर हैरत में पड़ जाएंगे आप | Lychee fruit Benefits  :-

लीची गर्मियों का एक प्रमुख फल है। स्वाद में मीठा और रसीला होने के साथ ही ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है।ये गर्मियों के मौसम के अंत में और बरसात के शुरुआती सीजन में ही पाया जाता है।लीची का वैज्ञानिक नाम लीची चिनेन्सिस (Litchi Chinensis) है,जीनस लीची का एकमात्र सदस्य है। इसका परिवार है सोपबैरी(Soapberry)।इसका मध्यम ऊंचाई का सदाबहार पेड़ होता है,इसके पेड़ की ऊंचाई 15-20 मीटर तक होती है और इसकी पत्तियां लगभग 15 -25  सेंटी मीटर लंबी होती हैं। लीची नर्म, सफेद और गुलाबी रंग की होती है और आमतौर पर इसका आकार 2 इंच ऊंचा और 2 इंच चौड़ा होता है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में बढ़ने वाला फल है। लीची का पौधा सबसे पहले चीन में उगाया गया था। चीन में 4,000 से अधिक वर्षों से इस फल की खेती की जा रही है। लेकिन अब दुनिया भर के कई देशों में इसकी खेती की जाती है, लेकिन लीची का मुख्य उत्पादन अभी भी भारत, दक्षिणपूर्व एशिया, चीन, वियतनाम, ब्राजील, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड स्टेट और दक्षिणी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में होता है। लीची को कई तरह के नामों से बुलाया जाता है हिंदी में इसे लीची, तमिल में इसे विलाज़ी पज्हम, मलयालम में इसे लीची पज्हम नाम से पुकारा जाता है। यह अपने स्वाद की वजह से पुरे विश्व में काफी पसंद किया जाता है। चीन में लीची को रोमांस का प्रतीक भी माना जाता है।अक्सर इसकी खुशबू के कारण लीची को कॉकटेल और व्यंजनों में स्वाद के लिए प्रयोग किया जाता है।

भारत में लीची का सबसे अधिक उत्पादन बिहार के मुज़फ्फरपुर में बहुतायत में होती है। इसके अलावा लीची पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, असम और त्रिपुरा आदि राज्यों में भी उगाई जाती है।लीची ने लोगों की पसंद की वजह से छोटे छोटे बजारों के साथ ही पुरे विश्व के सुपर मार्केट में भी अपनी जगह बना ली है। लीची की मांग जितनी अधिक है उसका उत्पादन उतना अधिक नहीं है क्योंकि यह हर मौसम में नहीं उगाया जा सकता है। इसके लिए भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC)  इस पर शोध कार्य कर रहे है ताकि विभिन्न समय में भी इसकी फ़सल उगाई जा सके।  

लीची के प्रकार | Types of Lychee:-

लीची के बहुत सारे प्रकार है, जिसमें मुजफ्फरपुर की शाही लीची नस्ल सबसे जयादा फेमस हैं यह एकमात्र लीची का प्रकार हैं जिसके बीज का आकर और छिलका पतला होता हैं और फल का आकर बड़ा होने के साथ रसीला होता हैं ।बाकी अन्य प्रकार का लीची मोटे बीज वाला फल है। लीची का फल देखने में स्ट्रोबरी के फल जैसा दिखता है। इसके ऊपर की परत हरी होती है, और पूरी तरह से पक जाने के बाद यह हल्के लाल और गुलाबी रंगत लिए होते है। उसके अंदर मरून या भूरे रंग का एक बीज होता है, बीज के ऊपर इसके गुदे होते है जिसका सेवन किया जाता है।भारत में इसे विभिन्न नामों से बुलाया जाता है जिसमे शामिल है शाही, देहरादून, बड़े और लाल लीची, कलकतिया, गुलाब जैसी सुगन्धित लीची। इनमें से सबसे ज्यादा पसंद होने वाली लीची के प्रकारों में शाही लीची सबसे ज्यादा पसंद की जाती है, क्योंकि उसके अंदर गुदे या पल्प बहुत ज्यादा पाए जाते है और अन्य लीची की अपेक्षा यह स्वादिष्ट भी ज्यादा होता है। चीन में पाए जाने वाले लीची के प्रकारों में शामिल है- संयुएहोंग, बैला, दज़ु, हेइए, नुओमिची, गुइवेइ, लंज्हू, चेंजि और शुइदोंग आदि।                  




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लीची का इतिहास ।History of Lychee:-


लीची की खेती की शुरुआत का इतिहास दक्षिण चीन में 1059 ईस्वी में मलेशिया और उत्तरी वियतमान में पाया गया है, और अनौपचारिक रूप से 2000 बी सी में इसके चाइना में पाए जाने की घोषणा हुई। चीन के अति प्राचीन काल में तंग वंश के राजा ज़ुआंग ज़ाँग का लीची पसंदीदा फल था ।राजा के पास वह पुष द्रुतगामी अश्वों द्वारा पहुंचाया जाता था, क्योंकि वह केवल दक्षिण चीन के प्रांत में ही उगता था। लीची को वैज्ञानिक तरीके से पियरे सोन्नेरैट द्वारा प्रथम वर्णित किया गया था (1748-1814) के बीच, उनकी दक्षिण चीन की यात्रा से वापसी के बाद। सन 1764 में इसे रियूनियन द्वीप में जोसेफ फ्रैंकोइस द पाल्मा द्वारा लाया गया और बाद में यह मैडागास्कर में आयी और वह इसका का मुख्य उत्पादक बन गया। लीची का पेड़ 30 से 40 फिट तक लम्बा हो सकता है। अब इसको उन्नत तरीके से गमलों में भी लगाया जाता है जो सजावट के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके पते लम्बे और नुकीले होते है फल लगने से पहले इसमें मंजर लगते है। फल एक साथ 8 से 10 तक संख्या में लगते है।

लीची में पाए जाने वाले पोषक तत्व |Lychee Fruit Nutrition Facts:-

प्रति 100 ग्राम पर

सिध्दांत पोषक तत्व पोषक तत्व का %
RDA 
एनर्जी66 किलो ग्राम कैलोरी3.3%
कार्बोहाइड्रेट16.53 ग्राम12.7 %
प्रोटीन0.83 ग्राम3.3%
कुल शामिल फैट0.44 ग्राम1.5%
कोलेस्ट्रोल0 मिली ग्राम2%
फाइबर1.3 ग्राम0%
फोलेतेस14 माइक्रो ग्राम3.5%
नियासिन0.603 मिली ग्राम3.5%
कोलिने7.1% मिली ग्राम1%
प्य्रिदोक्सिने0.100 मिली ग्राम9%
रिबोफ्लाविन0.065 मिली ग्राम3.5%
थायमिन0.011 मिली ग्राम1%
विटामिन सी71.5 मिली ग्राम119%
विटामिन इ0.07 मिली ग्राम0.5%
विटामिन के0.4 माइक्रो ग्राम0.3 %
इलेक्ट्रोलाइट्स 
सोडियम1 मिली ग्राम0%
पोटैशियम171 मिली ग्राम3.5%
कैल्शियम5 मिली ग्राम0.5%
कॉपर0.148 मिली ग्राम16%
आयरन0.31 मिली ग्राम4%
मैग्नेशियम10 मिली ग्राम2.5%
मैंगनीज0.055 मिली ग्राम2.5%
फोस्फोरस31 मिली ग्राम4.5%
सेलेनियम0.61%
जिंक0.07 मिली ग्राम0.5%



गुणों से भरी है लीची / लीची स्वास्थ्य के लिए लाभदायक (Lychee Fruit Benefits for Health):-


लीची में पानी की मात्रा भी काफी होती है। इसमें विटामिन सी, पोटैशियम और नैसर्गिक शक्कर की भरमार होती है। गरमी में खाने से यह शरीर में पानी के अनुपात को संतुलित रखते हुए ठंडक भी पहुँचाता है। दस लीचियों से हमें लगभग 65 कैलोरी मिलती हैं। लीची में क्या-क्या गुण हैं, आइए जानते हैं।
  • सेहत का खजाना :- लीची को बतौर फल ही नहीं खाया जाता, इसका जूस और शेक भी बहुत पसंद किए जाते हैं। जैम, जैली, मार्मलेड, सलाद और व्यंजनों की गार्निशिंग के लिए भी लीची का इस्तेमाल किया जाता है। स्ट्राबेरी की तरह दिखने वाली हार्ट-शेप लिए छोटी-सी लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉसफोरस, लौह जैसे खनिज लवण पाए जाते हैं, जो इसे हमारी सेहत का खजाना बना देते हैं।
  • कैंसर से लड़ने में सहायक / कैंसर सेल्स के विकास को रोकता है :- कुछ वैज्ञानिकों ने तो लीची को ‘सुपर फल‘ का दर्जा भी दिया है। अध्ययनों से साबित हुआ है कि विटामिन सी, फ्लेवोनॉयड, क्यूरसीटीन जैसे तत्वों से भरपूर लीची में कैंसर, खासतौर पर स्तन कैंसर से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से हमारे शरीर में कैंसर के सेल्स ज्यादा बढ़ नहीं पाते।
  • पेट के लिए फायदेमंद :- गैस्ट्रो आंत्र विकार, हल्के दस्त, उल्टी, पेट की खराबी, पेट के अल्सर और आंतरिक सूजन से उबरने में लीची का सेवन फायदेमंद है। यह कब्ज या पेट में हानिकारक टोक्सिन के प्रभाव को कम करती है। गुर्दे की पथरी से होने वाले पेट दर्द से आराम पहुंचाती है। मधुमेह के रोगियों के तंत्रिका तंत्र को होने वाली क्षति को रोकने में मदद करती है।भोजन के बाद लीची का सेवन करने से यह भोजन को पचाने में सहायता कराती है
  • इम्यूनिटी बढ़ाती है लीची :- लीची एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट भी है। इसमें मौजूद विटामिन सी हमारे शरीर में रक्त कोशिकाओं के निर्माण और लोहे के अवशोषण में भी मदद करता है, जो एक प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने के लिए जरूरी है। रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया में सहायक लीची में बीटा कैरोटीन, राइबोफ्लेबिन, नियासिन और फोलेट जैसे विटामिन बी काफी मात्रा में पाया जाता है।
  • ह्रदय रोगों में लाभदयक / कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करती है / रक्तचाप से बचाव:- अगर आप ह्रदय संबंधित किसी भी रोग से ग्रस्त है तो लीची का सेवन आपके लिए अत्यंत लाभकारी है। लीची में मौजूद पोटेशियम आपको ह्रदय रोगों से बचाता है।यह हृदय की धड़कन की अनियमितता अथवा अस्थिरता और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।लीची में मौजूद लाभदायक रासायनिक तत्व शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, जिससे शरीर में खून की कमी नहीं हो पाती और रक्त का प्रवाह सही ढंग से होता रहता है और यह पाचन-प्रक्रिया के लिए भी जरूरी है। इससे बीटा कैरोटीन को जिगर और दूसरे अंगों में संग्रहीत करने में मदद मिलती है। फोलेट हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखता है। इससे हमारा तंत्रिका तंत्र स्वस्थ रहता है। इसी वजह से लीची का नियमित सेवन हार्ट अटैक की संभावना 50 प्रतिशत कम कर देता है।
  • ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत :- लीची ऊर्जा का स्‍त्रोत है। अगर गर्मी के मौसम में आपको बहुत थकान या कमजोरी महसूस होती है तो लीची आपके लिए बहुत फायदेमंद है । इसमें मौजूद नियासिन हमारे शरीर में ऊर्जा के लिए आवश्यक स्टेरॉयड हार्मोन और हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है, इसलिए काम की थकावट के बावजूद लीची खाने से आप दोबारा ऊर्जावान हो जाते हैं। 
  • वजन कम करने में सहायक :- लीची हमारी सेहत के साथ ही फिगर का भी ध्यान रखती है।इसमें ओलिगोनोल नामक एक तत्व पाया जाता है जो हमारे शरीर से अत्यधिक वसा को कम करने के साथ साथ सूर्य की हानिकारक किरणों से भी हमारी रक्षा करता है। यह हमारे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को भी सही रखता है। इसमें घुलनशील फाइबर बड़ी मात्रा में मिलता है, जो मोटापा कम करने का अच्छा विकल्प है। फाइबर हमारे भोजन को पचाने में सहायक होता है और आंत्र समस्याओं को रोकने में मदद करता है। यह वायरस और संक्रामक रोगों से लड़ने के लिए हमारे शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह फाइबर कमजोर और बुजुर्गों को स्वस्थ रहने में मदद करता है।
  • सर्दी-जुकाम के वायरस के संक्रमण से बचाव :- लीची विटामिन सी का बहुत अच्छा स्त्रोत होने के कारण खांसी-जुकाम, बुखार और गले के संक्रमण को फैलने से रोकती है। यह संक्रामक एजेंटों के खिलाफ प्रतिरोधक के रूप में काम करती है और हानिकारक मुक्त कणों को हटाती है। गंभीर सूखी खांसी के लिए तो लीची रामबाण है। ऑलिगनॉल नामक रसायन की मौजूदगी के कारण लीची एन्फ्लूएंजा के वायरस से आपका बचाव करती है।
  • बच्चों के विकास में सहायक :- लीची में पाए जाने वाले कैल्शियम,फॉसफोरस और मैग्नीशियम, विटामिन सी तत्व बच्चों के शारीरिक गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मिनरल्स अस्थि घनत्व को बनाए रखते हैं। ये ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करते हैं। लीची को खाने से बच्चों का शारीरिक विकास ठीक तरह से होता है। इसमें मिनरल्स भी बहुत मात्रा में होते है, मिनरल्स की वजह से दांत और हड्डियाँ मजबूत होती है। लीची के छिलके वाली चाय सर्दी-जुकाम, दस्त, वायरल और गले के इंफेक्शन के इलाज में मददगार है।
  • पानी की कमी नहीं होने देती :- लीची का रस एक पौष्टिक तरल है। यह गर्मी के मौसम से संबंधित समस्याओं को दूर करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है। लीची हमारे शरीर में संतुलित अनुपात में पानी की आपूर्ति करती है और निर्जलीकरण से बचाती है। पेट और अन्य बीमारियों की रोकथाम में असरदार लीची शरीर की अम्लता के उच्च स्तर को कम करके पाचन संबंधी विकारों को दूर करती है।
  • पाईल्स के रोगियों के लिए फायदेमंद :- पाईल्स के रोगियों के लिए भी लीची खाना अच्छा होता है क्योंकि यह पेट में जमे हुए टोक्सिन को निकाल कर पेट को साफ़ रखता है, जिस वजह से कब्ज जैसी परेशानी नहीं होती। 
  • सूजन की दर्द से राहत :- लीची तंत्रिका तंत्र की नसों और जननांगों की सूजन के इलाज में फायदेमंद है। इससे दर्द से राहत मिलती है। किसी भी अंग में सूजन कम करने के लिए लीची बीज के पाउडर का लेप लगाने से आराम मिलता है।
  • बीज और छिलका भी है फायदेमंद :- लीची बीज के पाउडर में दर्द से राहत पहुंचाने के गुण हैं। पाचन संबंधी विकारों को दूर करने के लिए बीज के पाउडर की चाय पीना फायदेमंद है। ऐसी चाय पीने से तंत्रिका तंत्र में होने वाले दर्द में भी राहत मिलती है। पेट के कीड़े मारने के लिए शहद में यह पाउडर मिला कर खाया जाता है। हर्बल चाय में लीची पेड़ की जड़ों, फूल और छाल उबाल कर पीने से चेचक जैसे संक्रामक रोगों में राहत मिलती है।
  • औषधि और अल्कोहल के निर्माण में सहायक :- दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने लीची के पल्प और छिलके में मौजूद फिनॉलिक कम्पाउंड से वजन कम करने, ब्लड प्रैशर नियंत्रित करने और हृदय रोगों की सप्लिमेंट्री दवाइयों का निर्माण किया है। इनमें हाईड्रोक्सीकट, लीची-60 सीटी और एक्स्रेडीन प्रमुख हैं। लीची से स्किन क्रीम भी बनाई गई है, जिससे चेहरे की झुर्रियां घटाई जा सकती हैं। इसे अल्कोहल बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • लीची बालों के लिए लाभदायक / बालों को झड़ने से रोकने में सहायक :- लीची को खाने के साथ ही अगर बालों में भी लगया जाए तो यह बहुत लाभदायक होगा। प्रदुषण की वजह से और ज्यादा चिंता करने की वजह से हमारे बाल झड़ने लगतें है। लीची का इस्तेमाल कर हम इस समस्या से बच सकते है। इसके लिए 7 से 8 लीची का जूस और 2  चम्मच एलोवेरा जेल को एक कटोरे में अच्छे से मिलाकर इसको बालों की जड़ों पर हल्के हाथों से मसाज करे, फिर 1  घंटे बाद इसे माइल्ड शैम्पू से धो कर सुखा ले। इस पैक को लगाने से लाभ ये होगा कि जो बाल ज्यादा कड़े और बेजान से दिखते है वो मुलायम और नरम दिखने लगेंगे, क्योकि लीची में फ़ोलिक एसिड की मात्रा रहती है जो बालों को नरम करती है। जिस वजह से बेजान बाल भी चमकदार बन जाते है।    
  • त्वचा के निखार के लिए :- लीची में सूरज की अल्ट्रावॉयलेट यूवी किरणों से त्वचा और शरीर का बचाव करने की खासियत होती है। इसके नियमित सेवन से ऑयली स्किन को पोषण मिलता है। साथ ही मुंहासों के विकास को कम करने में मदद मिलती है।लीची में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन ए और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिसकी वजह से ये त्वचा के लिए विशेष तरह से लाभदायक है। चेहरे पर पड़ने वाले दाग-धब्बों में कमी आ जाती है।यह त्वचा में होने वाली एलर्जी से भी बचाने की क्षमता रखता है। साथ ही शरीर में होने वाली कमज़ोरी से बचाता है।
  1. उम्र के बढ़ते असर को रोके :- असमय त्वचा पर अगर झुरिया पड़ रही हो तो लीची का उपयोग इसको रोकने में सहायक हो सकता है। इसके लिए आप घर पर ही इसका फेस पैक बना सकते है। इसके लिए 4 से 5 लीची के पल्प निकाल कर और एक केले का छोटा सा टुकड़ा दोनों को मिक्स कर अच्छे से मसल ले और अपने त्वचा के ऊपर लगा कर उसको गोल घुमाते हुए मसाज करे और फिर 15 मिनट बाद इसे सादे पानी से धो दे। लीची में बहुत सारे एंटीओक्सिडेंट पाए जाते है जो ख़राब त्वचा की परत को हटाकर नई त्वचा का विकास करते है जिससे त्वचा में नई जान आ जाती है।
  2. चेहरे पर पड़ी झाइयो को हटाये :- किसी भी सुंदर चेहरे पर अगर दाग़ दिखने लगे तो यह दिखने में अच्छे नहीं लगते है। इसलिए इससे बचने के लिए लीची के जूस का इस्तेमाल किया जा सकता है। 4 से 5 लीची का बीज निकाल कर उसका रस निकाल ले और रुई की सहायता से इसे झाइयों और दाग़ वाले स्थान पर लगाये, फिर 15 मिनट तक लगा कर रखने के बाद इसे धो दे। ये करने से जल्द ही चेहरे के दाग़ के हटने में राहत मिलेगी।
  3. धूप से बचाय :- धूप की वजह से जो चेहरे पर कालापन आ जाता है उन्हें लीची के जूस को लगा कर दूर किया जा सकता है। इसके लिए लीची के जूस में विटामिन इ के कैप्सूल को काट कर उसके लिक्विड को मिला कर इसे कालेपन वाले जगह पर लगाये और फिर 30 मिनट बाद ठंढे पानी से धो दे। लीची धूप से जली या काली पड़ी हुई त्वचा के लिये इसलिए लाभदायक है क्योंकि इसमें विटामिन सी पाया जाता है और उसमे विटामिन इ के कैप्सूल को मिलाकर लगाने से त्वचा में नई जान आ जाती है।     

लीची से नुकसान | Lychee Fruit Side Effects:-


लीची एक बेहद स्वादिष्ट एवं लाभकारी फल है ।गर्मियों में इसका सेवन कर आप अपने शरीर को कई तरह से लाभ पंहुचा सकते है, परन्तु इसका सेवन सीमित मात्रा में ही लाभकारी है ।

  1. एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए एक कटोरी या 10-11 दाने लीची का सेवन हितकर है।
  2.  ज्यादा खाने से नकसीर या सिर दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 
  3. कई बार तो लीची की अधिकता से एलर्जी भी हो जाती है। शरीर में खुजली होना, जीभ तथा होंठ में सूजन आना और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
  4. लीची को मौसम के शुरुआत में खाना चाहिए नहीं तो ज्यादा समय बीत जाने पर इसमें कीड़े लग जाते है जो लाभ के बदले नुकसान पंहुचा सकते है।
  5. लीची को खाली पेट खाने से भी यह नुकसान पंहुचा सकता है।
  6. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को लीची के सेवन से से बचना चाहिए।

लीची को खाने से हुई मौत का विवाद (Lichee fruit diet side effects):-


लीची के सेवन को लेकर बिहार में हुई मौत चर्चा का विषय बन चूका था, क्योंकि अचानक से बिहार में बच्चों को एक रहस्यमई बीमारी होने लगी थी। जिसमे अचानक से चक्कर आने लगता था और वो बेहोश होकर गिर पड़ते थे जिनमें से कुछ की मौत भी हो जाती थी।

Times Of India द्वारा छपी खबर के अनुसार-

मुजफ्फरपुर में पिछले एक महीने में लगभग १५० बच्चों की मौत हो गई है और दिमागी बुखार के प्रकोप के लिए लीची को दोषी ठहराया जा रहा है। स्वाभाविक रूप से, लीची की खपत के संबंध में सलाह दी गई है और कई लोग इससे दूर रह रहे हैं क्योंकि वे खतरनाक परिणामों से डरते हैं।

हमने संकट के बारे में मुजफ्फरपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अरुण शाह से विशेष रूप से बात की। वह पिछले 20 वर्षों से कुख्यात एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पर कड़ी नजर रखे हुए है।

अध्ययन के निष्कर्षों का गलत अर्थ निकाल रहा है। लोगों को पता होना चाहिए कि असली अपराधी कुपोषण है, न कि लीची। यदि आप उन बच्चों की प्रोफ़ाइल को देखते हैं जो दिमागी बुखार से पीड़ित हैं या जो लक्षण बता रहे हैं, तो आप जानते होंगे कि वे सभी गरीब परिवारों के हैं और इस भयानक गर्मी की लहर में लीची के बागों में घूमते हैं, जो भी हो वे पा सकते हैं, अपंग, कच्चे या सड़े हुए लीची। वे घर वापस जाते हैं और खाली पेट सोते हैं, और सुबह उठकर गंभीर एईएस लक्षणों की रिपोर्ट करते हैं। ”डॉक्टर यह भी बताते हैं कि यदि लीची को अकेले ही मौतों के लिए दोषी ठहराया जाना है, तो शहरी मुजफ्फरपुर में मौत के मामले कैसे नहीं आते?।

इसे स्पष्ट रूप से कहने के लिए, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सदस्य कहते हैं, लीची में MCPG नामक एक विष होता है, जिसके कारण कुपोषित बच्चों के शर्करा स्तर में गिरावट हो सकती है (2016 के शोध के बारे में बात करते हुए, जो प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ और महामारी विज्ञानी जैकब जॉन द्वारा एईएस में किया गया था, डॉ शाह ने कहा, "हर कोई आसानी से लीची को दोष दे रहा है और जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है), और यही कारण है कि अगर एक स्वस्थ बच्चा लीची खाता है, वह एईएस से पीड़ित नहीं होगा। तो लीची केवल एक ट्रिगर कारक है और अपने आप में एक कारण नहीं है।

डॉ शाह चाहते हैं कि इस क्षेत्र के सभी माता-पिता यह सुनिश्चित करें कि वे अपने बच्चों को हर रात बिस्तर पर जाने से पहले रात का खाना खाएं। इसके अलावा, उन्हें लगता है कि बच्चों को बागों में जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा, लक्षणों की शुरुआत के तुरंत बाद बच्चे को अस्पताल ले जाना चाहिए। बहुत से लोग महसूस नहीं करते हैं, उपचार में देरी ज्यादातर मामलों को घातक बनाती है। “मैं चाहता हूं कि सभी डॉक्टर तुरंत अस्पताल में बच्चे को अस्पताल लाते समय अनुभवजन्य उपचार शुरू करें। उन्हें जांच जारी रखनी चाहिए लेकिन इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए। ”लीची, कीटनाशकों और चमगादड़ से फैलने वाले वायरस के अलावा अन्य ट्रिगर भी हैं। "लेकिन मैं जोर देता हूं, लीची अकेले एईएस का कारक नहीं है, यह सिर्फ एक ट्रिगर कारक है।"इसके अलावा, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि एईएस एक बीमारी नहीं है बल्कि एक सिंड्रोम है जो न केवल हाइपोग्लाइसीमिया के तहत आता है बल्कि जापानी इंसेफेलाइटिस, मेनिन्जाइटिस, मलेरिया, टाइफाइड और अन्य बीमारियों में भी होता है। सामान्य लक्षण बहुत तेज बुखार, चेतना की हानि और आक्षेप के अचानक शुरू होते हैं।यह जरूरी है कि अधिकारियों ने दोष लिची पर नहीं डाला - यह समय है कि वे गरीब लीची किसानों के बारे में सोचते हैं!

इस बीमारी के ऊपर 2013 में यू। एस। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC), अमेरिका और दिल्ली नेशनल सेन्टर फॉर डिजेज कण्ट्रोल (NCDC) और  भारत के वैज्ञानिकों ने शोध किया, कि आखिर इसकी वजह क्या है। उस शोध में उन्होंने पाया कि अगर बच्चे सुबह में लीची को खाने के बाद दोपहर का खाना नहीं खा रहे है, तो उनके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है। इसका मुख्य कारण लीची में मौजूद हेपोग्लिसिन ए और MCPG नामक रसायन का होना है जो प्राकृतिक रूप से ही लीची में पाया जाता है। जिसकी वजह से ग्लूकोज की मात्रा शरीर में बननी कम हो जाती है जिसके चलते बच्चे बेहोश हो जाते है ।

लीची को खाने से होने वाली मौत को राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (NRCL) ने विज्ञान पत्रिका में छपी खबर लैंसेट ग्लोबल शोध के नतीजो को मानने से इंकार कर दिया है। उनका मानना है कि किसी भी तरह का फल हमें नुकसान नहीं पहुंचता है बस खाते वक्त इसकी मात्रा का ध्यान रखना चाहिए। 

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की तरफ से भी यही कहा गया है कि समस्या फलों को खाने से नहीं हो रही, बल्कि इसकी सेवन की मात्रा से हो रही है।

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  1. लीची में इतने सारे गुण!मुझे लीची बहुत पसंदहै।

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