Paush Amavasya 2021: पौष अमावस्या कब है? इस दिन पितृ दोष से मुक्ति मिलने की है मान्यता, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व



सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। अमावस्या को पूर्वजों का दिन कहते हैं, इस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। हिंदू पंचांग के हिसाब से कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या होती है। यह चंद्रमा की गति के हिसाब से हर महीने आती है। जो अमावस्या पौष मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पड़ती है, उसे पौष अमावस्या कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं।साल 2021 में पौष मास की यह अमावस्या मंगलवार 12 जनवरी को लग रही है और बुधवार 13 जनवरी की दोपहर तक पौष अमावस्या का प्रभाव बना रहेगा।इस साल की पहली अमावस्या पौष अमावस्या है जो एक बेहद शुभ संयोग में उपस्थित हुआ है। इस दिन मंगलवार होने से यह भौमवती अमावस्या भी कहलाएगी। ऐसे में यह पितृ दोष और मंगल के प्रतिकूल प्रभाव को दूर करने वाला भी माना जा रहा है। शास्त्रों में पौष अमावस्या के दिन पितृ शांति करने का विधान बताया गया है। भौमवती अमावस्या हो जाने से पौष महीने की यह अमावस्या और भी उत्तम फलदायी हो गई है।

पौष अमावस्या 2021 शुभ मुहूर्त

पौष अमावस्या – 13 जनवरी 2021, बुधवार 
पौष अमावस्या का आरंभ – 12 जनवरी को दिन में 12 बजकर 10 मिनट पर
पौष अमावस्या समाप्त – 13 जनवरी को बुधवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर।
पौष अमावस्या स्नान दान समय13 जनवरी, सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शाम 05 बजकर 45 मिनट तक 

धार्मिक कार्यों को समर्पित होती है पौष अमावस्या

पौष अमावस्या को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान का स्मरण, नदी में स्नान करके दान-पुण्य और पितृ तर्पण करने वालों पर काफी शुभ फलों की बरसात होती है। यानी इस दिन को धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ और मंत्र जाप आदि के लिए समर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन किसी भी बुरे काम और यहां तक की निगेटिव विचारों से भी दूरी बनानी चाहिए।

अमावस्या तिथि का महत्व

  • हिंदू धर्म में पौष अमावस्या का विशेष महत्व है।पूरे पौष माह में सूर्यदेव की अराधना करना काफी खास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पौष महीने यदि सूर्य की उपासना की जाए तो जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ घर में खुशियों की बौछार होती है।
  • यह महीना धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए लिहाज से सबसे उत्तम माना जाता है।
  • ज्योतिष के अनुसार पौष अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए खास पूजा की जाती है। इस दिन को तर्पण व श्राद्ध जैसे संस्कार के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। 
  • इसके साथ ही पितृ दोष और कालसर्प दोष से परेशान जातकों के लिए भी यह दिन शुभ फलदायी साबित हो सकता है। दरअसल, इस दिन उपवास रखकर इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। 
  • सिर्फ पितरों के लिए ही नहीं बल्कि सूर्य, अग्नि, वायु, ब्रह्मा, इंद्र, ऋषि, पशु-पक्षी और भूत प्राणी भी इस महीने में अराधना करने से तृप्त होते है। जातक की पूजा-अराधना से ये सभी प्रसन्न होते हैं।
  • पौष मास में होने वाले मौसम परिवर्तन के आधार पर ही पूरे साल में कितनी बारिश होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
  • जिन व्यक्तियों की कुंडली में संतान हीन योग हो, पौष अमावस्या का व्रत और पितरों का तर्पण करने से उनको शुभ फल मिलता है।
  • पौष अमावस्या के दिन कुछ मंदिरों में विशेष महायज्ञ का भी आयोजन किया जाता है।

कैसे करें पौष अमावस्या का व्रत

इस दिन पूर्वजों को याद किया जाता है, इसलिए इसे श्राद्ध अमावस्या भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस दिन पूर्वज अपने परिवार को आर्शीवाद देने के लिए धरती पर आते हैं। इस दिन पूजा-अर्चना करने से चंद्र देवता की कृपा मिलती है। चंद्र देव भावनाओं और दिव्य अनुग्रहों के स्वामी कहे जाते हैं, इसलिए इस दिन की पूजा से असीम कृपा बरसती है। पौष अमावस्या जितना खास माना जाता है, उतना ही विशेष इसके व्रत और उपासना की विधि भी है। 

आइए, जानते हैं कि इस दिन शुभ फल के लिए किस तरह पूजा करनी चाहिए और व्रत की विधि क्या है?

  • पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण देने के लिए सबसे पहले पवित्र नदी, जलाशय या किसी कुंड आदि में स्नान करें। अगर आसपास ऐसा कोई स्थान न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए।
  • इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करें।
  • अर्घ्य देने के लिए तांबे का पात्र लें। फिर उसमें शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास रखना चाहिए। किसी गरीब को भी दान-दक्षिणा दें, ताकि घर में खुशहाली बरसती रहे।
  • भौमवती अमावस्या होने की वजह से इस दिन हनुमानजी और मंगलदेव की पूजा करना भी शुभ रहेगा।
  • इस मौके पर पीपल के पेड़ और तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें और एक चौमुखी दीपक जलाकर उनसे खुशहाल जीवन की प्रार्थना करें। अराधना करते हुए पीपल के पेड़ और तुलसी के पौधे की परिक्रमा भी करने की सलाह दी जाती है।
  • पौष अमावस्या के दिन गरीबों को भोजन कराने से भाग्य खुलता है।इस दिन आप किसी भी सफेद वस्तु या खाने की चीज का दान कर सकते हैं। 

पौष अमावस्या की पूजा करने से होने वाले लाभ

  • पौष अमावस्या पर पितृ दोष की शांति कराने से भाग्योदय में आने वाली रूकावट दूर हो जाती है और भाग्योदय शीघ्र होता है। 
  • पौष अमावस्या के दिन चांदी के नाग और नागिन की पूजा करने से काल सर्प दोष दूर होता है। 
  • पौष अमावस्या के दिन आटे की गोलियां बनाएं और किसी तालाब या नदी के किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिलाने से सभी परेशानियां दूर होती हैं।
  • पौष अमावस्या के दिन गरीबों में मीठे चावल बांटने और चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। 
  • इस दिन पीपल के पेड़ पर गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करने से पितरों का खास आशीर्वाद मिलता है। 
  • पितृ दोष के दूर होने से संतान की उत्पत्ति में आने वाली बाधा भी दूर हो जाती है। 
  • पितृ दोष दूर होने से व्यवसाय और नौकरी में आने वाली बाधा भी दूर हो जाती है। 

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