बिहार: इसी जगह पर भगवान नरसिंह ने अवतार लेकर किया था हिरण्यकश्यप का वध, जानें क्या है धार्मिक मान्यता


बनमनखी बिहार 


बिहार प्राचीन काल से ही देव भूमि रही है, यहां कई ऐसे प्राचीन मंदिर है जहां जरूर जाना चाहिए।बिहार राज्य के पूर्णिया जिला के बनमनखी में सिकलीगढ़ धरहरा गांव हैं जहाँ भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार के आज भी साक्ष्य मौजूद है।बताया जाता है कि इसी गांव में भगवान नरसिंह अवतरित हुए थे और यही वो गांव है जहां राजा हिरण्यकश्यप ने अपने भगवान विष्णु भक्त पुत्र प्रहलाद को कई बार मारने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो पाया, राजा की बहन होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान प्राप्त था, होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर अग्नि में प्रवेश की की जिसके बाद होलिका जल कर राख हो गई और प्रहलाद को कुछ नहीं हो पाया मान्यता के मुताबिक यहीं से होलिकादहन की परंपरा की शुरुआत हुई थी।



ऐसी मान्यता है कि प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का किला सिकलीगढ़ में था। गांव के बड़े बुजुर्गों की माने तो अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए खंभे से भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था।एनएच 107 के किनारे धरहरा स्थिति सिकलीगढ़ में नरसिंह अवतार स्थल मौजूद है यहां एक खंबा एक निश्चित कोन पर झुका हुआ है जिसे " माणिक्य स्तंभ" के नाम से जाना जाता है । इसी स्थान पर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का वध हुआ था। 




खास बात ये है कि माणिक्य स्तंभ 12 फीट मोटा है और करीब 65 डिग्री पर झुका हुआ है जिसकी लंबाई 1411 इंच है। कहा जाता है कि इस स्तंभ को कई बार तोड़ने का प्रयास किया गया परंतु यह झुक तो गया लेकिन टूटा नहीं। प्रहलाद स्तंभ के आस पास की गई खुदाई से पुरातात्विक महत्व के सिक्के मिले थे। यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन और पूजा अर्चना के लिये आते हैं।

नोट :-  माणिक्य स्तंभ स्थल के बारे में भागवत पुराण में जिक्र है कि भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी।

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